पहले प्रतिलिपिकार का स्वभाव अज्ञात है क्योंकि इसका कार्य लंबे समय से जीवन के वर्तमान प्रतिलिपिकार, डीएनए (DNA) द्वारा ले लिया गया था.
12.
पहले प्रतिलिपिकार का स्वभाव अज्ञात है क्योंकि इसका कार्य लंबे समय से जीवन के वर्तमान प्रतिलिपिकार, डीएनए (DNA) द्वारा ले लिया गया था.
13.
यह सब एक लंबे समय तक जारी रहा, प्रतिक्रियाएं यादृच्छिक रूप से होती रहीं, जब तक कि संयोग से एक प्रतिलिपिकार अणु उत्पन्न नहीं हो गया.
14.
यह सब एक लंबे समय तक जारी रहा, प्रतिक्रियाएं यादृच्छिक रूप से होती रहीं, जब तक कि संयोग से एक प्रतिलिपिकार अणु उत्पन्न नहीं हो गया.
15.
एक शुरुआती प्रतिलिपिकार हो सकता है क्योंकि यह आनुवांशिक जानकारी को संचित रखने का कार्य व प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने का कार्य दोनों कर सकता है.
16.
प्रचलित सिद्धांत यह है कि झिल्ली का निर्माण प्रतिलिपिकार के बाद हुआ, जो कि तब तक शायद अपनी प्रतिलिपिकारक सामग्री व अन्य जैविक अणुओं के साथ आरएनए (
17.
ने अपने हाथों में ले लिया; सभी ज्ञात जीव (कुछ विषाणुओं व सूक्ष्म जीवाणुओं के अलावा) लगभग एक समान तरीके से अपने प्रतिलिपिकार के रूप में डीएनए (
18.
प्रचलित सिद्धांत यह है कि झिल्ली का निर्माण प्रतिलिपिकार के बाद हुआ, जो कि तब तक शायद अपनी प्रतिलिपिकारक सामग्री व अन्य जैविक अणुओं के साथ आरएनए (RNA) था (आरएनए (RNA) विश्व अवधारणा).
19.
प्रतिलिपिकार की उत्पत्ति के बजाय कोशिकीय झिल्ली की उत्पत्ति को समझना अधिक सरल है क्योंकि एक कोशिकीय झिल्ली फॉस्फोलिपिड अणुओं से मिलकर बनी होती है, जो जल में रखे जाने पर अक्सर तुरंत ही दो परतों का निर्माण करते हैं.
20.
भाग २-जीवन की उत्पत्ति-अणु का प्रथम प्रतिलिपिकार व प्राकृतिक चयन का प्रारम्भ, जैविक सूप, प्रारंभिक कोशिकाएं, बहुकोशीय जीवन का विकास, ऑक्सीजन क्रान्ति व ओक्सीजन या प्रकाश-संश्लेषण-पृथ्वी का तृतीय वातावरण.... ओजोन परत का निर्माण....