इस तरह पहले तो चार वर्ण पैदा हुए, फिर इन चारों वणोर्ं के परस्पर के व्यभिचार से अनुलोम प्रतिलोम क्रम से नाना जातियां बन गयीं और जीविका निर्वाह के लिए उन्हें यथायोग्य पेशे भी बांट दिये गये।
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इस तरह पहले तो चार वर्ण पैदा हुए, फिर इन चारों वणोर्ं के परस्पर के व्यभिचार से अनुलोम प्रतिलोम क्रम से नाना जातियां बन गयीं और जीविका निर्वाह के लिए उन्हें यथायोग्य पेशे भी बांट दिये गये।