प्रत्यक्षज्ञान के स्वरूप को स्पष्टरूप में समझने की भावना से ३ विशेषण पद होते हैं जो निम्न प्रकार हैं।
12.
प्रत्यक्षज्ञान में `मेय ' और` माता' का भान तो अवश्य होता है, किन्तु उनके भान के लिए दूसरे प्रकाश कीआवश्यकता होती है.
13.
यहाँ भी प्रत्यक्षज्ञान की तरह हान, उपादान और उपेक्षा बुद्धि को फल मानकर अनुमिति को अनुमान प्रमाण कहा जा सकता हैं।
14.
मा में प्र उपसर्ग लगने से बनता है प्रमा, आप्टे कोश में जिसका अर्थ है दिया है प्रतिबोध, प्रत्यक्षज्ञान, यथार्थ जानकारी आदि।
15.
जैसे यह घड़ा है इस प्रत्यक्षज्ञान का साधन नेत्र है अतः नेत्र प्रत्यक्षज्ञान का करण है यह नेत्र इन्द्रिय चाक्षुष प्रत्यक्ष ज्ञान का करण है ।
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जैसे यह घड़ा है इस प्रत्यक्षज्ञान का साधन नेत्र है अतः नेत्र प्रत्यक्षज्ञान का करण है यह नेत्र इन्द्रिय चाक्षुष प्रत्यक्ष ज्ञान का करण है ।
17.
लंबे अनुभव के बाद इंटरनेटयुग आने के बाद, वर्चुअल संस्कृति आने बाद सारी दुनिया को यह बोध हुआ कि प्रत्यक्षज्ञान और शब्दज्ञान दोनों ही अस्थिर और अविश्वसनीय हैं।
18.
रोगियोंके अधुना शल्यकर्म के साथ ही विभिन्न यथा काय-~ चिकित्सा, पंचकर्म, रसायनबाजीकरण, क्षारकर्म, अग्नि-~ कर्म, रक्तमोक्षण व कल्पचिकित्सा के सुसज्जित विभागहों, जिनमें रोगियों के रोग-मुक्ति हेतु इन कर्मों की उपादेयता का प्रत्यक्षज्ञान प्रशिक्ष करके, उनका सफल उपयोग कर सकें.
19.
रोगियोंके अधुना शल्यकर्म के साथ ही विभिन्न यथा काय-~ चिकित्सा, पंचकर्म, रसायनबाजीकरण, क्षारकर्म, अग्नि-~ कर्म, रक्तमोक्षण व कल्पचिकित्सा के सुसज्जित विभागहों, जिनमें रोगियों के रोग-मुक्ति हेतु इन कर्मों की उपादेयता का प्रत्यक्षज्ञान प्रशिक्ष करके, उनका सफल उपयोग कर सकें.
20.
जब मन संयुक्त इंद्रिय के सन्निकर्ष से किसी विषय का प्रत्यक्ष होता है, जब तक उस विषय के साथ इंद्रिय का तथा इंद्रिय के साथ मन का संयोग बना रहता है, प्रतिरक्षण उस विषय का नया नया प्रत्यक्षज्ञान होता रहता है।