| 11. | उनका पाण्डित्य एकांगी नही, प्रत्युत सर्वगामी था।
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| 12. | प्रत्युत वास्तविक तत्वका ही वर्णन है ।
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| 13. | प्रत्युत ऐसा करने से ही जाति रक्षा हो सकेगी,
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| 14. | अर्जुन ने कर्तव्य-कर्म का त्याग नहीं किया है, प्रत्युत
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| 15. | कवि होना सहज नहीं, प्रत्युत एक विवशता है।
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| 16. | सकता, प्रत्युत हानिकारक ही हो सकता हैं।
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| 17. | प्रत्युत इसके विपरीत यथार्थ में परमार्थ-लाभ केवल
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| 18. | जाएँ प्रत्युत उसके लिए सदा बद्धपरिकर रहें।
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| 19. | और कादर है, कठिन ही नहीं प्रत्युत दुस्साध्य है।
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| 20. | प्रत्युत परमात्मा का ही पूजन करते हैं।
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