‘माँ '-माया तस्यात्रायते यानि माया से रक्षा करनेवाली ब्रह्म विद्या ….!. नागरी भाषा में लिखे गए इनकी १३ मात्राओं में प्रथम मात्रा ही सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं…..!. अलबता सूत्र शैली में लिखा एक नन्हा सा काव्य हैं यह….!.
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अत: उसके ऊपर प्रथम मात्रा के प्रतीक स्वरूप पहले चन्द्रबिन्दु बनाएँ-· तदुपरान्त द्वितीय मात्रा के प्रतीक स्वरूप उसके ऊपर चन्द्रबिन्दु के दाएँ बाजू में ‘ रेफ ' जैसी आकृति बनाएँ-इस प्रकार जैन परम्परा सम्मत यानी ‘ ओम् ' / ‘ ओं ' की आकृति निर्मित हो जाती है।