हमें अभी अपनी अन्तरात्मा को इतना अधिक प्रबल बनाना है कि वह इस मृत्युलोक के 76. 18 प्रतिशत अन्याय, अत्याचार, अपराध, दुष्कृत्य तथा पाप को सहन कर सके।
12.
आरम्भ को सुंदर बनाना, कुसंग तथा कुसंस्कार से दूषित न होने देना, शुभ कर्मों में ही शक्ति का सदुपयोग करना, धर्मतत्त्व, ईश्वरतत्त्व को जानने की अभिलाषा को प्रबल बनाना-ये सौभाग्यवानों में ही देख जाते हैं।
13.
शासक को सिर्फ शांतिप्रिय ही नहीं युद्धप्रिय भी होना चाहिए, उसे देश की रक्षा के लिए स्वयं को प्रबल बनाना चाहिए, देशवासियों को लगे कि हमने जिसे चुना वो हमारी रक्षा करने के लिए स्वयं की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेगा।