तारे का प्रभावी ताप वास्तव में उस आदर्श कृष्ण पिंड का ताप है जिसके विकिरण की महत्तम तीव्रता उसी तरंगदैध्र्य में है जिसमें तारे की।
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तारे का प्रभावी ताप वास्तव में उस आदर्श कृष्ण पिंड का ताप है जिसके विकिरण की महत्तम तीव्रता उसी तरंगदैध्र्य में है जिसमें तारे की।
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अत: तारे के प्रभावी ताप को निश्चित करने के लिये पहले उसके वर्णक्रम के अध्ययन से महत्तम तीव्रता के विकिरण का तरंगदैध्र्य ज्ञात किया जाता है।
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अत: तारे के प्रभावी ताप को निश्चित करने के लिये पहले उसके वर्णक्रम के अध्ययन से महत्तम तीव्रता के विकिरण का तरंगदैध्र्य ज्ञात किया जाता है।
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अत: तारे के प्रभावी ताप को निश्चित करने के लिये पहले उसके वर्णक्रम के अध्ययन से महत्तम तीव्रता के विकिरण का तरंगदैध्र्य ज्ञात किया जाता है।
16.
यही यहीं, यदि एक ही प्रभावी ताप के मुख्य श्रेणी के तारों और श्वेत वामन की ज्योतियों की तुलना करें, तो श्वेत वामन मुख्य श्रेणी के तारे की अपेक्षा बहुत ही कम ज्येतिष्मान होता है।
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यही यहीं, यदि एक ही प्रभावी ताप के मुख्य श्रेणी के तारों और श्वेत वामन की ज्योतियों की तुलना करें, तो श्वेत वामन मुख्य श्रेणी के तारे की अपेक्षा बहुत ही कम ज्येतिष्मान होता है।
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यही यहीं, यदि एक ही प्रभावी ताप के मुख्य श्रेणी के तारों और श्वेत वामन की ज्योतियों की तुलना करें, तो श्वेत वामन मुख्य श्रेणी के तारे की अपेक्षा बहुत ही कम ज्येतिष्मान होता है।
19.
तारे, और तब प्रत्येक श्रेणी में अवशोषण रेखाओं की तीव्रताएँ इतने नियमानुसार बदलती हैं कि दी हुई तीव्रताओं के लिये तारे के वर्ग का, फलत: उसके प्रभावी ताप का, निश्चय अनन्य रूप से किया जा सकता है।
20.
(1) विशाल (giant) तारे और (2) वामन (dwarf) तारे, और तब प्रत्येक श्रेणी में अवशोषण रेखाओं की तीव्रताएँ इतने नियमानुसार बदलती हैं कि दी हुई तीव्रताओं के लिये तारे के वर्ग का, फलत: उसके प्रभावी ताप का, निश्चय अनन्य रूप से किया जा सकता है।