मुद्रा की मात्रा में वृद्धि ब्याज की दर में कमी करतीथी और प्रभावी मांग बढ़ती थी जिससे वस्तुओं के आयात में वृद्धि औरनिर्यात में कमी होती थी तथा पूंजी का निर्यात प्रो त्साहित होता था.
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वैसे तो भारत ने अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए कई देशों के साथ द्वि-पक्षीय सम्बन्ध मज़बूत करने के प्रयास काफी दिनों से शुरु कर रखे हैं फिर भी उनका कोई बड़ा फल सामने नहीं आता दिखा रहा था क्योंकि अभी तक भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने यहाँ अपराध कर भागने वाले अपराधियों के वर्तमान निवास वाले देशों से इस सम्बन्ध में सटीक और प्रभावी मांग नहीं की जाती रही है.