अब तक के भारतीय इतिहास में पहली बार दो एकदम अलग-अलग, लेकिन प्रमुख समुदाय और संस्कृतियां एक-दूसरे के बिल्कुल रू-ब-रू खड़ी थीं और भारत दो शक्तिशाली इकाइयों में स्थायी रूप से विभाजित हो गया था, जिनमें से प्रत्येक इकाई की अपनी विशिष्ट पहचान थी, जो दोनों के किसी भी प्रकार के विलयन या दोनों के बीच किसी भी तरह की धनिष्ठ स्थायी समन्वय के लिए उपयुक्त नहीं थी.