साहित्यिक हिन्दी से इतर प्रयोग-क्षेत्र के अनुसार प्रयोजनमूलक हिन्दी का विकास और व्यवहार टैक्नोलॉजी सघन अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है ।
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जो शब्द व्याकरणिक दृष्टि से कई रूपों में प्रयुक्त होते हैं अथवा उनकी अर्थ-कोटियाँ व प्रयोग-क्षेत्र में मौलिक अंतर है, उन्हें भिन्न इकाइयों के रूप में दिया गया है।