एक प्राध्यापक, जिसका पेशा ही लिखना और समझाना है, अगर बिना विश्लेषणात्मक लेखकीय जांच पूरी किए सिर्फ रटकर अध्यापन के पेशे में आ जाएगा तो वह अपने छात्रों को कैसा लेखन और पठन-पाठन सिखाएगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है कहीं ऐसा तो नहीं कि यूजीसी द्वारा नेट परीक्षा का जल्दी परिणाम घोषित न कर पाने की समस्या से निजात पाना असली एजेंडा न हो, बल्कि ‘ अपने ' कुछ लोगों को किसी तरह सिस्टम में प्रविष्ट कराना मूल मंतव्य हो