अब अगर हम 9 ग्रहों से इन 30 अंशों को विभाजित करते है तो 3 नक्षत्र पूरा होकर चौथे में प्रवेश काल प्रारम्भ होना चाहि ए.
12.
वही यह भूतसमुदाय उत्पन्न हो-होकर प्रकृति वश में हुआ रात्रि के प्रवेश काल में लीन होता है और दिन के प्रवेश काल में फिर उत्पन्न होता है॥19॥
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वही यह भूतसमुदाय उत्पन्न हो-होकर प्रकृति वश में हुआ रात्रि के प्रवेश काल में लीन होता है और दिन के प्रवेश काल में फिर उत्पन्न होता है॥19॥
14.
जिस वर्ष की वर्ष कुंडली बनानी हो उतने से धु्रवांग को गुणा करके जन्म कालीन वार और समय में जोड़ देने से वर्ष प्रवेश काल, दिन, तारीख आदि आ जाते हैं।
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(प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 1 श्लोक 31 से 39, 46 तथा अध्याय 2 श्लोक पाँच से आठ श्री कृष्ण जी में प्रवेश काल बार-बार कह रहे हैं कि अर्जुन कायर मत बन, युद्ध कर।
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पंचांग का सर्वाधिक महत्वपूर्ण व उपयोगी पहलू यह है कि इसमें सूर्य और चंद्रमा का राशि प्रवेश काल तथा उसके साथ-साथ उसके नक्षत्र, चरण, नक्षत्र स्वामी और नक्षत्र के उपस्वामी की जानकारी साथ-साथ दी गयी है।
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(प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 1 श्लोक 31 से 39, 46 तथा अध्याय 2 श्लोक पाँच से आठ श्री कृष्ण जी में प्रवेश काल बार-बार कह रहे हैं कि अर्जुन कायर मत बन, युद्ध कर।
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लगभग तीन से चार वर्षों में इसमें मतभेद उत्पन्न होने का मुख्य आधार यह है कि ग्रह का परिवर्तन तिथि, नक्षत्र, योग, करण का प्रवेश काल भारतीय स्टेंडर्ड टाइम से रहती है जबकि वार का प्रवेश सूर्योदय से संबंधित है।
19.
भावार्थ: संपूर्ण चराचर भूतगण ब्रह्मा के दिन के प्रवेश काल में अव्यक्त से अर्थात ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर से उत्पन्न होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेशकाल में उस अव्यक्त नामक ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में ही लीन हो जाते हैं॥18॥
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भावार्थ: संपूर्ण चराचर भूतगण ब्रह्मा के दिन के प्रवेश काल में अव्यक्त से अर्थात ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर से उत्पन्न होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेशकाल में उस अव्यक्त नामक ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में ही लीन हो जाते हैं॥18॥ भूतग