मो नियर विलियम्स के संस्कृत इंग्लिश कोश के अनुसार पुराणों में तीन तरह के स्नातक बताए गए है-(1) विद्या स्नातक वह है जो विद्याध्ययन पूरा करता है पर ब्रह्मचर्य आश्रम के सभी अनुशासनों को पूरा किए बिना गृहस्थाश्रम में प्रवेश की आज्ञा चाहता है।
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अल्लाह कैसा खुदा है जो एक आतंकवादी, बलात्कारी, लुटेरे, चोर, डाकू आदी को तो काबे के अन्दर प्रवेश की आज्ञा देता है उन्हें अपना सेवक मानता है परन्तु एक संत जैसे स्वाभाव के व्यक्ति को नहीं जैसे (ईशा मसीह, मदर टेरीसा, महात्मा गाँधी, सुकरात आदि) और ऐसे व्यक्ति को सबसे घटिया पैदाइश, कुफ्र, मुशरिक आदि नामो से पुकारता है!
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3. नेसाई ने हज़रत अली (अ.) से रिवायत की है कि आपने फ़रमाया: पैग़म्बर के निकट मेरा जो स्थान था वह किसी का नहीं था, मैं हर रात पैग़म्बर की सेवा में उपस्थित होता, अगर आप नमाज़ की अवस्था में होते तो सुबहान अल्लाह कहते, मैं प्रविष्ठ हो जाता और नमाज़ की अवस्था में न होते तो प्रवेश की आज्ञा दे देते।