संभव है यह मेरा पूर्वाग्रह ही हो, मुझे ऐसी कोई ग़ज़ल अब तक पढने को नहीं मिली जिसमें प्रश्नवाचक शब्द को न रख कर प्रश्न करने के लिए केवल प्रश्नचिन्ह का ही उपयोग हुआ हो, प्रश्न अगर किया जाये तो प्रश्नवाचक शब्द ही उसे सम्पूर्णता प्रदान करता है, मैं फिर निवेदन करना चाहता हूँ, चिन्ह केवल देखे जा सकते हैं, कहे या सुने नहीं जा सकते.
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संभव है यह मेरा पूर्वाग्रह ही हो, मुझे ऐसी कोई ग़ज़ल अब तक पढने को नहीं मिली जिसमें प्रश्नवाचक शब्द को न रख कर प्रश्न करने के लिए केवल प्रश्नचिन्ह का ही उपयोग हुआ हो, प्रश्न अगर किया जाये तो प्रश्नवाचक शब्द ही उसे सम्पूर्णता प्रदान करता है, मैं फिर निवेदन करना चाहता हूँ, चिन्ह केवल देखे जा सकते हैं, कहे या सुने नहीं जा सकते.
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संभव है यह मेरा पूर्वाग्रह ही हो, मुझे ऐसी कोई ग़ज़ल अब तक पढने को नहीं मिली जिसमें प्रश्नवाचक शब्द को न रख कर प्रश्न करने के लिए केवल प्रश्नचिन्ह का ही उपयोग हुआ हो, प्रश्न अगर किया जाये तो प्रश्नवाचक शब्द ही उसे सम्पूर्णता प्रदान करता है, मैं फिर निवेदन करना चाहता हूँ, चिन्ह केवल देखे जा सकते हैं, कहे या सुने नहीं जा सकते.
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संभव है यह मेरा पूर्वाग्रह ही हो, मुझे ऐसी कोई ग़ज़ल अब तक पढने को नहीं मिली जिसमें प्रश्नवाचक शब्द को न रख कर प्रश्न करने के लिए केवल प्रश्नचिन्ह का ही उपयोग हुआ हो, प्रश्न अगर किया जाये तो प्रश्नवाचक शब्द ही उसे सम्पूर्णता प्रदान करता है, मैं फिर निवेदन करना चाहता हूँ, चिन्ह केवल देखे जा सकते हैं, कहे या सुने नहीं जा सकते.