व्रती को धान के एक प्रस्थ (प्रसर) आटे से रोटियाँ (पूड़ी) बनानी होती हैं जिनकी आधी वह ब्राह्मण को दे देता है और शेष अर्धांश स्वयं प्रयोग में लाता है।
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कम्युनिज्म के सिद्धांत और उसके दर्शन पर आप क्यों कुछ नहीं कहते...क्यूंकि अखबारी खबरें...छिछोड़े जुमले तक सीमित रहकर अपनी समझ का प्रसर कर रहे हैं... इतिहास ना आपको पता है...न दूसरों को सही बता पाते हैं...
13.
यह सान्ध्य समय, प्रलय का दृश्य भरता अम्बर, पीताभ, अग्निमय, ज्यों दुर्जय, निर्धूम, निरभ्र, दिगन्त प्रसर, कर भस्मीभूत समस्त विश्व को एक शेष, उड़ रही धूल, नीचे अदृश्य हो रहा देश।