कालांतर में देह, काया जैसे शब्द परिनिष्ठित हिन्दी के लिए सुरक्षित हो गए और निष्प्राण शरीर में देह के अर्थ में नया प्राण-संचार हो गया।
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कालांतर में देह, काया जैसे शब्द परिनिष्ठित हिन्दी के लिए सुरक्षित हो गए और निष्प्राण शरीर में देह के अर्थ में नया प्राण-संचार हो गया।
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हाल के दिनों में भारत सहित समूचे दक्षिण एशिया में कई ऐसी घटनाएँ घटीं जिनकी वजह से धार्मिक कट्टरपन्थ की राजनीति में प्राण-संचार सा हो गया गया है।
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आभरण, अलंकार, आयुध और परिकर के अतिरिक्त खजुराहो की विशेषता तो इन प्रतिमाओं के आनन पर विभिन्न मनोभावों का ऐसा सजीव चित्रण है, जिसके आधार पर यह कहने का मन होता है कि यहां के कलाकारों ने स्थूल शरीर का निर्माणभर कर विराम नहीं लिया, वरन उनमें प्राण-संचार भी किया है।