बेहतर होता कि कबीर की चर्चा करने के पहले, डॉ. धर्मवीर मेहनत करके कबीर का प्रामाणिक पाठ लाते और उसके आधार पर बात करते।
12.
ओड़िशा में सेनापति का यह उपन्यास प्रामाणिक पाठ माना जाता है जिसके साथ मेरा पहला संपर्क अकादमिक नहीं रहा और मुझे इस बात कि खुशी भी है.
13.
उनकी कविता झारखंड के सांस्कृतिक और समकालीन जीवन के प्रामाणिक पाठ और साक्ष्य की तरह आती है जिसका एक उपपाठ स्त्री संवेदना और संघर्ष के विस्तार के रूप में दिखाई पड़ता है।
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दक्षिण भारत में उपलब्ध ' अवंतिसुंदरी कथा ' और ' अवंतिसुंदरी कथासार '-इन दोनों के आधार पर उनके जीवन के विषय में इतना ही (नए और प्रामाणिक पाठ के अनुसार) ज्ञात हो सका है कि दंडी के प्रपितामह दामोदर पंडित थे।
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इन तीनों बातों में असलियत को अलग खोज निकालने की दृष्टि से पुणे के ‘भांडारकर पौर्वात्य संस्थान ' ने चालीस वर्षों तक सतत परिश्रम करके महाभारत का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है और इसी प्रकार बड़ौदा के ‘महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय' ने चौबीस वर्षों के श्रमपूर्ण संशोधन और अध्ययन के बाद रामायण का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है।
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इन तीनों बातों में असलियत को अलग खोज निकालने की दृष्टि से पुणे के ‘भांडारकर पौर्वात्य संस्थान ' ने चालीस वर्षों तक सतत परिश्रम करके महाभारत का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है और इसी प्रकार बड़ौदा के ‘महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय' ने चौबीस वर्षों के श्रमपूर्ण संशोधन और अध्ययन के बाद रामायण का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है।
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इन तीनों बातों में असलियत को अलग खोज निकालने की दृष्टि से पुणे के ‘ भांडारकर पौर्वात्य संस्थान ' ने चालीस वर्षों तक सतत परिश्रम करके महाभारत का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है और इसी प्रकार बड़ौदा के ‘ महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय ' ने चौबीस वर्षों के श्रमपूर्ण संशोधन और अध्ययन के बाद रामायण का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है।
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इन तीनों बातों में असलियत को अलग खोज निकालने की दृष्टि से पुणे के ‘ भांडारकर पौर्वात्य संस्थान ' ने चालीस वर्षों तक सतत परिश्रम करके महाभारत का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है और इसी प्रकार बड़ौदा के ‘ महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय ' ने चौबीस वर्षों के श्रमपूर्ण संशोधन और अध्ययन के बाद रामायण का प्रामाणिक पाठ तैयार किया है।
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कारण यह है कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हस्तलिखित सुंदरकांड की प्रति का उल्लेख रामचरित मानस के मूल गुटके में प्रकाशित-नम्र निवेदन ' में किया तो जा रहा है, परंतु प्रेस प्रबंधकों ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि दुलही में जिन महानुभाव से यह अमूल्य धरोहर प्राप्त हुई है और जिसके आधार पर सुंदरकांड के प्रामाणिक पाठ को हिन्दुओं के सर्वपूज्य ग्रंथ