हिन्दी साप्ताहिक का समूचा अंक तैयार करने में मेरे पतिदेव (जब तक लेटर प्रेस था) पूरी सहायता करते थे-जैसे समाचारों का संकलन, अग्रलेख, सम्पादकीय, प्रूफ संशोधन आदि सभी में उनका सहयोग रहा है।
12.
शिव प्रसाद मिश्र ‘ रुद्र ' जी का, संगीत सम्बन्धी जानकारी के लिये पारसनाथ सिंह जी का, पाण्डुलिपि संशोधन, धार्मिक-सांस्कृतिक जानकारी के लिये तथा प्रूफ संशोधन के लिये केशर और भाई प्रदीप जी का आभारी हूं.
13.
गालिब के शैरों के लिये आदरणीय बेढबजी का, जयनारायण घोषाल जी की कविताओं के लिये प. शिव प्रसाद मिश्र ‘रुद्र' जी का, संगीत सम्बन्धी जानकारी के लिये पारसनाथ सिंह जी का, पाण्डुलिपि संशोधन, धार्मिक-सांस्कृतिक जानकारी के लिये तथा प्रूफ संशोधन के लिये केशर और भाई प्रदीप जी का आभारी हूं.
14.
आज तक इस पुस्तक में किसी भाषा संशोधन अथवा सुधार की आवश्यकता क्यों नहीं पड़ी? 1400 वर्षों की लम्बी अवधि में भी किसी अरबी भाषा के विद्वान और विशेषज्ञ ने इस पुस्तक में कोई गलती क्यों नहीं पकड़ी? इस पुस्तक का आज तक कोई प्रूफ संशोधन क्यों नहीं हुआ? कुरआन की भाषा शैली विशुद्ध, अनूठी और अद्भुत है।