विशेष विचार:-उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध हुआ कि श्रीमद्भगवत गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं बोला, यह तो श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश होकर काल ब्रह्म(ज्योति निरंजन) ने बोला था क्योंकि वह उपरोक्त नियम से किसी भी योग्य व्यक्ति में प्रेतवत् प्रवेश करके अपना कार्य सिद्ध करता है, पश्चात् निकल जाता है जैसे अर्जुन में प्रवेश करके विरोधी सेना मार डाली पश्चात् निकल गया।
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विशेष विचार:-उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध हुआ कि श्रीमद्भगवत गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं बोला, यह तो श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश होकर काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) ने बोला था क्योंकि वह उपरोक्त नियम से किसी भी योग्य व्यक्ति में प्रेतवत् प्रवेश करके अपना कार्य सिद्ध करता है, पश्चात् निकल जाता है जैसे अर्जुन में प्रवेश करके विरोधी सेना मार डाली पश्चात् निकल गया।
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{यहाँ पर विष्णु रूप में काल ब्रह्म बोल रहा है}विशेष विचार:-उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध हुआ कि श्रीमद्भगवत गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं बोला, यह तो श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश होकर काल ब्रह्म(ज्योति निरंजन) ने बोला था क्योंकि वह उपरोक्त नियम से किसी भी योग्य व्यक्ति में प्रेतवत् प्रवेश करके अपना कार्य सिद्ध करता है, पश्चात् निकल जाता है जैसे अर्जुन में प्रवेश करके विरोधी सेना मार डाली पश्चात् निकल गया।