शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा संभव है कि पाए गए अवशेष फलभक्षी नर के हैं जो चिम्पांज़ी से थोड़ा छोटा था.
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हकीकत तो यह है कि ये फलभक्षी लोग शहीदों पर बहुत प्रसन्न हैं, क्योंकि वे शहीद हो कर चले गये, फल भोगने के लिए नहीं रहे।
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[2] इनको दो समूहों मे विभाजित किया जाता है, पहला समूह फलभक्षी बडे़ चमगादड़ का होता है, जो देख कर और सूंघ कर अपना भोजन ढूंढते हैं जबकि दूसरा समूह् कीटभक्षी छोटे चमगादड़ का होता है, जो प्रतिध्वनि द्वारा स्थिति निर्धारण विधि के द्वारा अपना भोजन तलाशते हैं।