(जैसे: ग़ौर व फ़िक्र करना, नसीहत लेना, तंदरूस्ती, तरक़्की, ईज़्ज़त हासिल करने का राज़ व.....
12.
वाक़िअ-ए-करबला तारीख़ का एक बहुत ख़ास वाक़िआ है इस लिए इसमें भी ग़ौरो फ़िक्र करना चाहिए और इस से सबक़ और इबरत लेना चाहिए।
13.
वोह लोग जो तौहीद और इलाही आयात के बारे में ग़ौर व फ़िक्र करना चाहते हैं उन के लिये उसका पढ़ना बहुत ज़रूरी है।
14.
के साथ किस बर्बरता से पेश आए होंगे, उसकी कल्पना तो हम तभी कर सकते हैं कि जब हम कसाब की फ़िक्र करना छोड़ दे।
15.
अगर इस मजबूरी से बगावत का इरादा हो तो फिर बाद की शर्मिंदगी के बारे में बिल्कुल ना सोचना चाहिए और न उसकी फ़िक्र करना चाहि ए.
16.
के साथ किस बर्बरता से पेश आए होंगे, उसकी कल्पना तो हम तभी कर सकते हैं कि जब हम कसाब की फ़िक्र करना छोड़ वास्तविक धरातल पर सोचे।
17.
वैसे फ़िक्र का जिक्र करना भी कहाँ बुरा है या जिक्र की फ़िक्र करना … (कुछ नहीं दिमाग पर चढी कुछ जिक्रों-फ़िक्रों का असर है … आप इसे अन्यथा न लें।
18.
(ग़ोररुल हेकम स 56) इसी तरह आप फ़रमाते हैं التفکر فی ملکوت السموات والارض عبادۃ المخلصین आसमान व ज़मीन के बारे में ग़ौर व फ़िक्र करना ईमानदारों और मुख़लिसों की इबादत है।
19.
‘ अल्लाह ने क़ुरआन उतारे जाने का मक़सद उसमें ग़ौर व फ़िक्र करना और उससे नसीहत हासिल करना बताया है ताकि इंसान अपने दुष्मन षैतान के बहकावे में आकर बुरे काम करने से बच सके।
20.
चिंत्य (सं.) [वि.] 1. चिंता करने योग्य ; विचारणीय ; चिंतनीय 2. जिसके बारे में चिंता या फ़िक्र करना ज़रूरी हो, जैसे-देश में गाँवों की उपेक्षा एक चिंत्य विषय है 3.