वे दुश्मन हैं रजब, बस्ती के उस बुनकर के कराबुक, फ़ैक्ट्री के फ़िटर हसन के, ग़रीब किसान औरत हातिजे के, दिहाड़ी मज़दूर सुलेमान के वे तुम्हारे दुश्मन हैं और मेरे हरेक उस आदमी के जो सोचता है और यह देश उन लोगों का घर-मेरी प्यारी वे दुश्मन हैं इस देश के...