मैक्हेल, अमेरिकी राजदूत टिमोथी जे. रोमर और अमेरिका-भारत शैक्षिक प्रतिष्ठान के कार्यकारी निदेशक एडम ग्रॉटस्की उन 150 अमेरिकियों और भारतीयों में शामिल थे जो नई दिल्ली में फ़ुलब्राइट हाउस में इस अवसर पर मौजूद थे।
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मुझे यकीन है कि यहां मौजूद अन्य फ़ुलब्राइट छात्रवृत्ति पाने वाले भी इस बात से सहमत होंगे कि शैक्षणिक आदान-प्रदान के कार्यक्रम लोगों और संस्कृतियों के बीच पुल बनाने और राष्ट्रों के बीच आपसी समझ विकसित करने का सबसे ज़्यादा प्रभावी और मूल्यवान तरीका है।
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1959-62 में इंडियाना यूनिवर्सिटी में फ़ुलब्राइट स्कॉलर के तौर पर भाषाविज्ञान में शोधकार्य करने के बाद वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो में दक्षिण एशियाई अध्ययन के शिक्षक नियुक्त हुए और तब से मृत्युपर्यंत वहीं रहे, हालांकि हार्वर्ड, विस्कॉन्सिन, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय (बर्कले) इत्यादि से भी उनका अध्यापन का रिश्ता लगातार बना रहा।