भारत में विदेशियों के आ जाने पर यह यह रोग अधिक फैला, जिससे इसे फिरंग रोग नाम मिला।
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भारत में विदेशियों के आ जाने पर यह यह रोग अधिक फैला, जिससे इसे फिरंग रोग नाम मिला।
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यह पश्चिम में पाया जाता है और वहीं से भारत आया, फिरंगी से फिरंग बना इसलिए इसे फिरंग रोग कहा गया।
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यह पश्चिम में पाया जाता है और वहीं से भारत आया, फिरंगी से फिरंग बना इसलिए इसे फिरंग रोग कहा गया।
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इस चूर्ण को 3 ग्राम मात्रा में जल के साथ सुबह लेने से ' फिरंग रोग का शमन होता और पीड़ा कम होती है।
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प्रथम और द्वितीय कारणों से होने वाले फिरंग रोग को स्वकृतजन्य और तीसरे कारण से होने वाले फिरंग रोग को सहज या जन्मजात कहते हैं।
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प्रथम और द्वितीय कारणों से होने वाले फिरंग रोग को स्वकृतजन्य और तीसरे कारण से होने वाले फिरंग रोग को सहज या जन्मजात कहते हैं।
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प्रथम और द्वितीय कारणों से होने वाले फिरंग रोग को स्वकृतजन्य और तीसरे कारण से होने वाले फिरंग रोग को सहज या जन्मजात कहते हैं।
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प्रथम और द्वितीय कारणों से होने वाले फिरंग रोग को स्वकृतजन्य और तीसरे कारण से होने वाले फिरंग रोग को सहज या जन्मजात कहते हैं।
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पहला कारण: 90-95 प्रतिशत मामलों में फिरंग रोग होने का कारण रोगग्रस्त व्यक्ति के साथ सहवास करना ही पाया जाता है, इसीलिए इसे मुख्यतः मैथुनजन्य रोग माना जाता है।