सम्बन्धित लोगों से गुजारिश है कि इस मामले में छाई धुंध को साफ़ करें नहीं तो यह बहुमूल्य पक्षी संपदा ही साफ़ हो जायेगी....सुरेश सिंह ने अपने किताब भारतीय पक्षी में फीजेंट पक्षियों में
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इसका आम बोलचाल की भाषा में जो नाम है-मोनल या मोनल फीजेंट उसकी दो प्रजातियाँ लोफोफोरस जीनस की हैं और वे प्रतिबंधित की गयी है यानि यहाँ भी क्रायिसोलोफस पिक्टस को क्लीन चिट है.... और यह बहेलिया टोला में उपलब्ध है..
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सम्बन्धित लोगों से गुजारिश है कि इस मामले में छाई धुंध को साफ़ करें नहीं तो यह बहुमूल्य पक्षी संपदा ही साफ़ हो जायेगी.... सुरेश सिंह ने अपने किताब भारतीय पक्षी में फीजेंट पक्षियों में कालिज, कोकलास, पोकरास, जोवार यानी ट्रेगोपान, कठमोर, चिलमे (ब्लड फीजेंट).
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सम्बन्धित लोगों से गुजारिश है कि इस मामले में छाई धुंध को साफ़ करें नहीं तो यह बहुमूल्य पक्षी संपदा ही साफ़ हो जायेगी.... सुरेश सिंह ने अपने किताब भारतीय पक्षी में फीजेंट पक्षियों में कालिज, कोकलास, पोकरास, जोवार यानी ट्रेगोपान, कठमोर, चिलमे (ब्लड फीजेंट).
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इसका आम बोलचाल की भाषा में जो नाम है-मोनल या मोनल फीजेंट उसकी दो प्रजातियाँ लोफोफोरस जीनस की हैं और वे प्रतिबंधित की गयी है यानि यहाँ भी क्रायिसोलोफस पिक्टस को क्लीन चिट है....और यह बहेलिया टोला में उपलब्ध है..जोड़े का दाम १५ हजार है..अंतर्जाल पर भी इसकी बिक्री की कई साईट हैं.....
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इस क्षेत्र में पाए जाने वाले लुप् तप्राय: पक्षी है-मोनल फीजेंट, कोकलास फीजेंट, पश्चिमी ट्रेजोपान, हिमालयी हिम मुर्गा, स्वर्णिम चील, स् टेपे चील, काली चील तथा बर्डिड गिद्ध, अन् य महत् वपूर्ण पक्षी समूह है-कबूतर, पैराकीट, कुकुत्र, उल् लू मिनीवेट, बुलबुल, टिट्स, वारबलर्स थ्रशिस, फिंचिस बंटिंग् स इत् यादि।
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इस क्षेत्र में पाए जाने वाले लुप् तप्राय: पक्षी है-मोनल फीजेंट, कोकलास फीजेंट, पश्चिमी ट्रेजोपान, हिमालयी हिम मुर्गा, स्वर्णिम चील, स् टेपे चील, काली चील तथा बर्डिड गिद्ध, अन् य महत् वपूर्ण पक्षी समूह है-कबूतर, पैराकीट, कुकुत्र, उल् लू मिनीवेट, बुलबुल, टिट्स, वारबलर्स थ्रशिस, फिंचिस बंटिंग् स इत् यादि।
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उत्तराखंड का राज्य बुरांश यहां चीड़, काफल, बांज, उतीस, मोरु, खरसों, तिलोंज व अयार के साथ ही देवदार की हरीतिमा से भरे जंगलों को अपने लाल सुर्ख फूलों से ‘ जंगल की ज्वाला ' में तब्दील कर देता है, तो राज्य पक्षी मोनाल भी कठफोड़वा, कलीज फीजेंट, चीड़ फीजेंट, कोकलास फीजेंट, जंगली मुर्गी, गौरैया, लमपुछड़िया, सिटौला, कोकलास, गिद्ध, फोर्कटेल, तोता व काला तीतर आदि अपने संगी 200 से अधिक पक्षी प्रजातियों के साथ यदा-कदा दिख ही जाता है।
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उत्तराखंड का राज्य बुरांश यहां चीड़, काफल, बांज, उतीस, मोरु, खरसों, तिलोंज व अयार के साथ ही देवदार की हरीतिमा से भरे जंगलों को अपने लाल सुर्ख फूलों से ‘ जंगल की ज्वाला ' में तब्दील कर देता है, तो राज्य पक्षी मोनाल भी कठफोड़वा, कलीज फीजेंट, चीड़ फीजेंट, कोकलास फीजेंट, जंगली मुर्गी, गौरैया, लमपुछड़िया, सिटौला, कोकलास, गिद्ध, फोर्कटेल, तोता व काला तीतर आदि अपने संगी 200 से अधिक पक्षी प्रजातियों के साथ यदा-कदा दिख ही जाता है।
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उत्तराखंड का राज्य बुरांश यहां चीड़, काफल, बांज, उतीस, मोरु, खरसों, तिलोंज व अयार के साथ ही देवदार की हरीतिमा से भरे जंगलों को अपने लाल सुर्ख फूलों से ‘ जंगल की ज्वाला ' में तब्दील कर देता है, तो राज्य पक्षी मोनाल भी कठफोड़वा, कलीज फीजेंट, चीड़ फीजेंट, कोकलास फीजेंट, जंगली मुर्गी, गौरैया, लमपुछड़िया, सिटौला, कोकलास, गिद्ध, फोर्कटेल, तोता व काला तीतर आदि अपने संगी 200 से अधिक पक्षी प्रजातियों के साथ यदा-कदा दिख ही जाता है।