| 11. | बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है चौका-बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ
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| 12. | बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है चौका-बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ
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| 13. | खट्टी चटनी-जैसी माँ याद आती है चौका बासन चिमटा, फुकनी जैसी माँ बान की खुर्रि खाट के ऊपर
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| 14. | अंगीठी की आँच पर पिघली लाख को फुकनी से गोलाकार बनाते परवेज़ मोहम्मद ख़ुद इसी मनिहार बिरादरी से हैं.
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| 15. | लेकिन इसमें मां की याद को खट्टी चटनी, चौका-बासन,चिमटा, फुकनी जैसी बताकर शायर ने मां को सामान में बदल दिया।
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| 16. | अंगीठी की आँच पर पिघली लाख को फुकनी से गोलाकार बनाते परवेज़ मोहम्मद ख़ुद इसी मनिहार बिरादरी से हैं.
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| 17. | जिसको हमने हर उस बचपन को पैदा होते ही दे दिया है जिसने खिलोनो की जगह माँ के चूल्हे की फुकनी देखी है.
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| 18. | लेकिन इसमें मां की याद को खट्टी चटनी, चौका-बासन, चिमटा, फुकनी जैसी बताकर शायर ने मां को सामान में बदल दिया।
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| 19. | और मज़ा लेते थे, उन्हें दूसरों के माथों पे फोड़ के... हँ हँ.... अब तो बच्चों को फुकनी बनानी भी नहीं आती...
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| 20. | गीता ने हम तीनों के हाथ में एक-एक डंडी पकड़ा दी और बर्तन में पड़े द्रव्य को हिलाने को कहा और वह स्वयं फुकनी लेकर चूल्हे को फूँकने लगी।
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