यह एक स्थापित तथ्य है कि अंग्रेजों ने अपनी ‘ फूट डालो और राज्य करो ' की नीति के तहत यह प्रचार किया कि भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा।
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कर्जन जैसे साम्राज्यवादी शासक ने फूट डालो और राज्य करो के तहत मुसलिम प्रधान पूर्व बंगाल को अलग कर उसे हिन्दू प्रधान शेष बंगाल के खिलाफ खड़ा करने की नाकाम कोशिश की।
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साँप-छछूँदर वाली स्थिति में वह क्या कर सकती थी? कम-से-कम इतना तो कर ही सकती थी कि ब्रिटिश ' फूट डालो और राज्य करो ' की नीति के तहत पाकिस्तान का समर्थन कर सकती थी।
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राजनीति से परे आज साधु-संन्यासी भी दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ पाते, ऐसे में यदि आज कबीर जीवित होते तो निश्चित वे अपनी वाणी से सामाजिक वैषम्य, असामंजस्य, अनुशासनहीनता, उच्छृंखलता, अनीति और अन्याय के प्रति विद्रोह प्रकट कर राजनीति के छल-कपट, वोट-नीति, फूट डालो और राज्य करो की नीति, व्यक्तिवाद की वर्चस्वता, प्रजातंत्र की आड़ लेकर राजतंत्र के कृत्य, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के प्रति जनता को सचेत कर उनमें जान फूंक देते जिससे स्वस्थ्य राष्ट्र का निर्माण हो उठता।
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राजनीति से परे आज साधु-संन्यासी भी दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ पाते, ऐसे में यदि आज कबीर जीवित होते तो निश्चित वे अपनी वाणी से सामाजिक वैषम्य, असामंजस्य, अनुशासनहीनता, उच्छृंखलता, अनीति और अन्याय के प्रति विद्रोह प्रकट कर राजनीति के छल-कपट, वोट-नीति, फूट डालो और राज्य करो की नीति, व्यक्तिवाद की वर्चस्वता, प्रजातंत्र की आड़ लेकर राजतंत्र के कृत्य, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के प्रति जनता को सचेत कर उनमें जान फूंक देते जिससे स्वस्थ्य राष्ट्र का निर्माण हो उठता।
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पहले उचित बातों को न सुनना, समस्याओं की अनदेखी करते जाना, हड़तालें करवाना और फिर डरकर बलशाली के सामने झुक जाना, कमजोर को धक्का दे देना, उसकी आदत बन गई है, सीधी सी बात है की यदि किसी का हक़ बनता है तो उसे पहले ही दे दो, और नहीं बनता तो बाद में भी मत दो, दूसरी व्यवस्था करो तो हड़ताल की नौबत ही क्यों आएगी / इन नेताओं ने अंग्रेजों से एक ही बात तो सीखी है कि ' फूट डालो और राज्य करो '.