उत्खनन में बारूदी विस्फोटों के कारण थर्राती जमीन भीषण आवाज, धूल, धुआं, जमीन का बंजरपन का प्रतिफलन होना ही था एवं हुआ।
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सांस्कृतिक बंजरपन के विरूद्ध उम्मीद की कुछ कोमल-मुलायम पत्तियों के साथ सुशील कुमार का अद्यतन प्रकाशित कविता संग्रह ‘तुम्हारे शब्दों से अलग...
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अन्य कृषि समस्याओं में मिट्टी का बंजरपन, भूमि क्षरण और कटाव, रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड, जो पूरी फसल को नष्ट कर सकते हैं और पशुओं की बीमारियां शामिल हैं.
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अन्य कृषि समस्याओं में मिट्टी का बंजरपन, भूमि क्षरण और कटाव, रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड, जो पूरी फसल को नष्ट कर सकते हैं और पशुओं की बीमारियां शामिल हैं.
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अन्य कृषि समस्याओं में मिट्टी का बंजरपन, भूमि क्षरण और कटाव, रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड, जो पूरी फसल को नष्ट कर सकते हैं और पशुओं की बीमारियां शामिल हैं.
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सांस्कृतिक बंजरपन के विरूद्ध उम्मीद की कुछ कोमल-मुलायम पत्तियों के साथ सुशील कुमार का अद्यतन प्रकाशित कविता संग्रह ‘ तुम्हारे शब्दों से अलग ' अभी-अभी ‘ हिन्द युग्म ' (संपादक: शैलेश भारतवासी) द्वारा मिला।
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ओ नदिया की अतुल निर्मल धारा! कल-कल बहती अविरल धारा! आ, तुझे लहरालूँ अपने मन मरुस्थल में मिट जाए ताप-तृषा तमाम विषमताओं का मलाल वृथा मिटे जमीन का बंजरपन अंकुराएं दबे झुलसे बीज ।
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अधिक पढ़ें » हिन्द-युग्म का नायाब तोहफा: सुशील कुमार का काव्य-संग्रह ‘तुम्हारे शब्दों से अलग' सांस्कृतिक बंजरपन के विरूद्ध उम्मीद की कुछ कोमल-मुलायम पत्तियों के साथ सुशील कुमार का अद्यतन प्रकाशित कविता संग्रह ‘तुम्हारे शब्दों से अलग' अभी-अभी ‘हिन्द युग्म' (संपादक: शैलेश भारतवासी) द्वारा मिला।