यही वे जगहें हैं जो आलोचना के परम्परित बंधाव में आने से रह जाती हैं।
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यही वे जगहें हैं जो आलोचना के परम्परित बंधाव में आने से रह जाती हैं।
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बंधाव और 1-3 (सीएलपी) पंचर द्वारा अंधान्त्र की शल्य वेध सहित कई तकनीकों द्वारा किया गया है.
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मगर चूंकि मन है, और उससे ऊपर हमारा है तो ऐसा कैसे हो कि अपने स्वभाव के बंधाव में ही बहता फिरे?
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लड़की मन के थकाव अपनी उम्र के बंधाव से छूटी एक अनलिखे गाने में खुद को गुनगुनाती, पुराने दायरों से मीलों दूर निकल किसी जादुई वृक्ष की फुनगी पर पहुंच मन के सुफ़्फ़ेद पंखों के सांवले धूल झाड़ती खुद को हैरत से तकेगी, तकती दमकेगी.
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लड़की मन के थकाव अपनी उम्र के बंधाव से छूटी एक अनलिखे गाने में खुद को गुनगुनाती, पुराने दायरों से मीलों दूर निकल किसी जादुई वृक्ष की फुनगी पर पहुंच मन के सुफ़्फ़ेद पंखों के सांवले धूल झाड़ती खुद को हैरत से तकेगी, तकती दमकेगी.
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जैसे वर्तमान के किसी पूर्व-परिभाषित, स्थिर, स्टैटिक बिम्ब के बंधाव की न हो पाएगी, वर्तमान लगातार छिटक-छिटककर अलग-अलग काल खण्डों में अपनी यात्राएं करने लगता होगा, और मंजुनाथ अबस उस बहाव में स्वयं को भूले सहरा को खोजते होंगे, और तब बहुत मर्तबा ऐसा भी होता होगा कि सहरा वर्तमान में मंजुनाथ के सामने बैठी होती होगी लेकिन वह अपनी समय-भटकन में उस वर्तमान तक पहुंच न पाते होंगे?
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क् योंकि आंखों के आगे जिस समाज के दृश् य खुलते हैं, वह सिर से पैर तक बीमारियों में रंगी है, अपने दो कौड़ी के फौरी स् वार्थों से अलग उसकी आत् मा खाली है. खोखली. कहीं कोई वह सामाजिकता की करुणा, आपसी बंधाव नहीं है जो इस पिटी दुनिया का किसी तरह बेड़ा पार लगायेगा, मालूम नहीं इस हालत में भीतर से पूरी तरह जर्जर यह समाज फिर कहां जाएगा? एक बार फिर, इतनी उदास दुनिया है, मगर मन डिप्रैस नहीं होता.