युवतियों को इनकी शिष्या बनने के लिए स्टाम्प पर किए गए अनुबन्ध के अधीन सम्भोग की अनिवार्यता से बद्ध होना पड़ता था और अनुबन्ध को गोपनीय रखने का वचन भी देना पड़ता था।
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देवी होने पर भी उर्वशी का राजा पुरूरवा के प्रणयपाश में बद्ध होना, पृथ्वीतल पर महारानी के रूप में निवास तथा अंत में राजा को अपने विरह से संतप्त कर अंतर्धान होना आदि घटनाएँ नितांत प्रख्यात हैं।
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देवी होने पर भी उर्वशी का राजा पुरूरवा के प्रणयपाश में बद्ध होना, पृथ्वीतल पर महारानी के रूप में निवास तथा अंत में राजा को अपने विरह से संतप्त कर अंतर्धान होना आदि घटनाएँ नितांत प्रख्यात हैं।