| 11. | * मणिपुर के राजा की कन्या [[चित्रांगदा]] से विवाह करके उससे बभ्रु वाहन को जन्म दिया।
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| 12. | हिता और बभ्रु भिन्न जाति के जीव थे परन्तु दोनों के शरीर की गठन में अनुपात का बहुत साम्य था।
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| 13. | बभ्रु प्रातः प्रथम मिलन के समय स्नेहविह्वल हो बार-बार अपनी गुलाबी लपलपाती जीभ से हिता का हाथ छू देता था।
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| 14. | दीर्धिका की ओर देखते समय बभ्रु का कभी दायाँ कान खड़ा हो जाता, कभी दायाँ कान गिरकर बायाँ उठ जाता।
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| 15. | बभ्रु का सेतु, सेतु का आरब्ध, आरब्ध का गांधार, गांधार का धर्म, धर्म का धृत, धृत का दुर्मना और दुर्मना का पुत्र प्रचेता हुआ।
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| 16. | हिता ने बभ्रु की व्याकुलता से अनुमान कर लिया कि कुत्ते के तीखे नाक और कानों ने दीर्घिका में युवराज्ञी की आहट पा ली है।
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| 17. | इनके अनेक नाम हैं जैसे पिंगल, बभ्रु, कोणस्थ, सौरि, शनैश्चर, कृष्णा, रौद्रांतको, मंद, पिपलाश्रय, यमा आदि।
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| 18. | हिता उसे स्नेह से डाँट देती थी-“ हट पागल! ” बभ्रु के गले से लटकी हुई जंजीर व्यर्थ ही जान पड़ती थी।
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| 19. | प्राचीनकाल में बभ्रु वाहन नामक एक दानी प्रतापी राजा था वह पुरूषोत्तम मास में नित्य स्नान कर भगवान विष्णु एवं भगवान शंकर की पूजा करता था ।
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| 20. | हिता तब भी बभ्रु की साँकल को सतर्कता से खींचे हुए थी कि वह स्नेह की मूढ़ता में राजकुमारी के मुख को अपनी जीभ से न छू ले।
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