मुनव्वर सरहदी-मुझे आदाबे मयख़ाना को ठुकराना नहीं आता वो मयकश हूँ जिसे पी कर बहक जाना नहीं आता।
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कोई उनकी विवशता नहीं समझता कि उन्हें अल्प समय के लिए कुछ आनंद प्राप्त होता है और उनका बहक जाना स्वाभाविक है.
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और सच ये भी है कि कुछ मुट्ठी भर लोगों का बहक जाना उतना नहीं अखरता, जितना कि एक बड़े वर्ग का चुप रह जाना.
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उम्र के उस मोड़ पर जब जिन्दगी बचपन का हाथ छोड़कर जवानी की दहलीज पर पाँव रखती है उन नाज़ुक हालातों मे दिल का बहक जाना लाजमी है ।
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नशे की हालत में कदम बहक जाना केवल फिल्मों की ही कहानी नहीं बल्कि यह हकीकत भी है। इस बात पर मुहर लगाया है एक यूनिवर्सिटी के अध्ययन ने।
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क़ुरआने मजीद ने उन्हा ख़तरों को देखते हुए ईमान वालों के दरमियान इस तरह के बढ़ावे को मना और हराम क़रार दिया है ताकि एक दो लोगों की बहक जाना सारे समाज पर असर न डाल सके और समाज तबाही और बर्बादी का शिकार न हो।
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क़ुरआने मजीद ने उन्हा ख़तरों को देखते हुए ईमान वालों के दरमियान इस तरह के बढ़ावे को मना और हराम क़रार दिया है ताकि एक दो लोगों की बहक जाना सारे समाज पर असर न डाल सके और समाज तबाही और बर्बादी का शिकार न हो।
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समंदर किनारे खड़े होकर चंद्रमा को देखते हुए मत बहक जाना अपने हृदय का समंदर भी कम गहरा नहीं उसमें ही डूब कर आनंद उठाओ वहां से फिर भी निकल सकते हो अपनी सोच के दायरे से निकलकर आगे चलते-चलते कहीं समंदर में डूब न जाना अभी कई गीतों और गजलों के फूल इस इस जहां * में तुम्हें है महकाना
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कितना मुश्किल हैं, कितना आसां भी, दिल लगा लेना, चुरा लेना भी, एक कदम बढ़ाके, फिर से छू लेना, एक कदम थामके, जी भर रो लेना भी, कितना मुश्किल हैं, कितना आसां भी, संभले का बहक जाना यूँ, बहके का फिर संभल जाना भी, सोच समझ का फिर जाना यूहीं, सोच समझ के चले जाना भी, कितना मुश्किल हैं, कितना आसां भी, ख्यालों में जी लेना हर दम, जीते ख्याल बुन लेना लेना भी, उतना ही मुश्किल हैं, उतना ही आसां भी, जितना की तेरा याद आना, मेरा याद करना भी!
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कितना मुश्किल हैं, कितना आसां भी, दिल लगा लेना, चुरा लेना भी, एक कदम बढ़ाके, फिर से छू लेना, एक कदम थामके, जी भर रो लेना भी, कितना मुश्किल हैं, कितना आसां भी, संभले का बहक जाना यूँ, बहके का फिर संभल जाना भी, सोच समझ का फिर जाना यूहीं, सोच समझ के चले जाना भी, कितना मुश्किल हैं, कितना आसां भी, ख्यालों में जी लेना हर दम, जीते ख्याल बुन लेना लेना भी, उतना ही मुश्किल हैं, उतना ही आसां भी, जितना की तेरा याद आना, मेरा याद करना भी! जो दिखा मुझे, तुझे कहाँ नज़र आएगा....