निशा जी, बहुत महत्वपूर्ण बात कही है ; मेरा भी ऐसा मानना है ; जब तक-सारा मुद्दा व्यवहारिक रूप न ले ले यानि क्रियान्वित न हो जाय तब तक न तो बहुत खुश होना चाहिए ; न जश्न मानाने चाहिए और हाँ ” जो शक्तिशाली मशाल अन्ना जी ने हम सभी जागरूक भारतीयों के दिलों-दिमाग में प्रज्वलित की है उस पर नित्य घी डालते रहना होगा, वरना कहीं मशाल धीमी न पड़ जाये. मीनाक्षी श्रीवास्तव
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ब्लॉग्गिंग का जीवन चक्र प्रथम चक्र-दोस्त खोजकर न्योता भेजना (Send invitation) या दोस्त का आवेदन मिलना (Getinvitation) द्वितीय चक्र-बहुत खुश होना तथा कुछ दिन तक रोज़ना लिखना तथा Reply पाना त्रितीय चक्र-कुछ दिन पश्चात Replyआना बन्द फिर मन में ख्याल आना कि पहले वो लिखे तब-चतुर्थ चक्र-दोस्त सिर्फ FriendList की शोभा बढाते हैं (Number of Friends inFriendList) पांचवा तथा अंतिम चक्र-दोस्त साथ में होते हुयेभी बहुत दूर चला जाता है।।।