| 11. | कम शब्दों में बड़ी बात! बहुत खूब!
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| 12. | मुरझाए रिश्तों से भी सजा लेते हैं दुनिया! बहुत खूब!
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| 13. | या हर जबाब दे, या मुझे लाजबाब कर बहुत खूब!
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| 14. | डॉ गुप्त जी, बहुत खूब! बधाई!
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| 15. | क्या बात है हजूर, बहुत खूब!
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| 16. | बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल.... दिल को भा गई, बहुत खूब!
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| 17. | अति हृदय स्पर्शी रचना. बहुत खूब!
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| 18. | वाह, बहुत खूब! डा.साहनी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा।
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| 19. | खलिश साहब, बहुत खूब! कुछ इसी माहौल की एक ग़ज़ल सुनी थी।
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| 20. | बीड़ी बुझाकर!:) बहुत खूब! एक बार फिर से पढ लिये।
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