सवाल यह उठता है कि एक सच्चे भारतीय के लिए-रामकथा के यह विभिन्न रूप, जिसने अलग-अलग समुदायों, समूहों में पहुंच कर अलग-अलग रूप धारण किए हैं-यह हक़ीकत किसी अपमान का सबब बननी चाहिए, या मुल्क की बहुसांस्कृतिकता, बहुभाषिकता, बहुविधता को ‘ सेलेब्रेट ' करने का एक अवसर होना चाहि ए.