बीच शिष्ठाचार के विरुद्ध मूर्ख मित्रवत् दोस्त सुशिक्षित बेवकूफ़ अन्तरंग प्रचलित गहराई में छोटा और साफ चालाक दूर तक मोटपन से लैंगिक छोटी शृंगार मंजूषा सुसम्बद्ध नज़दिकी गहराई में बहुसंखयक मग्न बेवकूफ़ी भरा गहनी रूपरेखा प्रस्तुत करना आत्मिक [भावना] भीतरी
12.
अपन सेक्युलर लोगो के लिये तो कश्मीरी पण्डित, कश्मीरी है ही नही जिसको आप सेक्युलर लोगो के बहुसंखयक कश्मीरियो ने उनकी बहन बेटीओ को बेइज्जत कर उनको अपनी सरजमी से भगा कर तंबुओ मे नारकीय जीवन ब्यॅतित करने के लिये छोड़ दिया.
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अपन सेक्युलर लोगो के लिये तो कश्मीरी पण्डित, कश्मीरी है ही नही जिसको आप सेक्युलर लोगो के बहुसंखयक कश्मीरियो ने उनकी बहन बेटीओ को बेइज्जत कर उनको अपनी सरजमी से भगा कर तंबुओ मे नारकीय जीवन ब्यॅतित करने के लिये छोड़ दिया.
14.
किसी के पास बड़ा मकान या कार या धन-दौलत नहीं है किसी के पास प्रेमिका नहीं, किसी के पास नौकरी नहीं या फिर ज् यादा आँखें फाड कर देखें तो बहुसंखयक आबादी के पास दो वक्त का भोजन नहीं, बच्चों के पास सपने हैं पर बहुतों के पास स्कूल के तय जूते नहीं।
15.
जिन देशों में बहुसंखयक मुस्लिमों का राज होता है, वहाँ वे निःसंकोच आक्रामक जिहाद अपनाते हैं और गैर-मुसलमानों को इस्लाम स्वीकारते, जजिया देने या देश छोड़ने को विवश करते हैं अन्यथा कत्ल कर दिए जाते हैं जैसा कि हम १ ९ ४ ७ से आज तक बंगला देश व पाकिस्तान में बसे हिन्दुओं की स्थिति देख चुके हैं।
16.
हम नही चाहते हैं क़ि आप वोट बैंक का व्यापार देखें, निर्भया का हाहाकर देखें, बहुसंखयक पर तना अल्पसंखयक का औजार देखें, देशप्रेमी पर कानून का लटकता तलवार देखें..... हम नही चाहते हैं क़ि आप......... है अतिथिदेव अब आपसे क्या छुपाना, आप जब जब आते हैं हमें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है / हे अतिथि देव आप नही आयें तो ही अच्छा..
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प्रो. मुहम्मद अयूब, (मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी) ने लिखा (जिहाद फिक्ेसेशन, पृ. २ १ २): ” बहु-मज़हबी तथा बहु-नस्लीय राजनीति के, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के बहुसंखयक सदस्य हैं, वर्तमान प्रसंग में उनका, गैर-मुसलमानों के खिलाफ, स्वशासन के लिए मुस्लिमों के परंपरागत रूप से लोग प्रिय संघष्र के संदर्भ में जिहाद की बात करना दकियानूसी तो है ही, साथ ही घातक भी है।