यदि अभिनव सिन्हा और दीपक लखनऊ विश्वविद्यालय के लिए ' बाहरी तत्व' हैं तो गांधी जी चम्पारण के किसानों के लिए, पटेल बारदोली सत्याग्रह के लिए और आज मेधा पाटेकर नर्मदा घाटी के किसानों के लिए 'बाहरी' हैं।
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हालाँकि पटेल की शुरूआत बारदोली सत्याग्रह से एक किसान नेता के रूप में उभरने से ही हुई थी फिर भी उसी सत्याग्रह ने उनकी छवि एक प्रशासक की भी बना दी जिससे वे कभी आज़ाद नहीं हो सके।
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दिनकर जी ने बारदोली सत्याग्रह पर काव्य रचना की, लेकिन चौथे दशक में रचित उनके काव्य, खास करके रेणुका और हुंकार की कविताओं का अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि दिनकर की कविताओं में उग्र राष्ट्रवाद की प्रवृत्ति प्रबल थी।