बारानी खेती में उर्वरक के उपयोग से उत्पादकता में काफी वृद्धि हो सकती है. इसके लिए नाइट्रोजन और फॉसफोरस मुख्य पोषक होते हैं.
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22. लाल बलुई मिट्टी वाले क्षेत्रों में खरीफ के मौसम में बारानी खेती की जाती है, जो पूर्णतः वर्षा पर निर्भर होती है।
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पन्द्रह वर्षों के आंकड़ों औरअनुभव के आधार पर विकसित वर्तमान बारानी खेती प्रौद्योगिकी से कुछ बारानी फसलोंके मामले में उत्पादन दुगुना हो गया है.
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फसल के बीच उगी खरपतवार की छंटाई महत्वपूर्ण हैक्योंकि यह फसल के साथ बढ़ती है और बारानी खेती में अपने आप उग आती है.
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22. लाल बलुई मिट्टी वाले क्षेत्रों में खरीफ के मौसम में बारानी खेती की जाती है, जो पूर्णतः वर्षा पर निर्भर होती है।
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की चराई के बिना बारानी खेती, तेज हवाओं कि मध्य एशिया के ऊंचे पहाड़ों से बाहर नीचे आ ढीला, सूखी मिट्टी के संपर्क में है.
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कुसुम की जड़े जमीन में गहराई तक जाकर पानी सोख लेने की क्षमता रखने के कारण इसे बारानी खेती के लिये विशेष उपयुक्त पाया गया है।
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बारानी खेती से देशकी दाल और तिलहन, चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा और कपास की फसलों का क्रमशः७५, ४०, ५०, ९५, ९६ और ७५ प्रतिशत भाग पैदा होता है.
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-राजस्थान में बारानी खेती की प्रगति और अपरगंगा में वाटरशेड परियोजना की प्रगति की पड़ताल के लिए 1993 में कृषि मंत्रालय की ओर नामित विशेष टीम का सदस्य।
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इस जानकारी की सहायता से ज्वार, बाजरा, उच्च भूमि में उगाया गया चावल, रागी, मूंग, मूंगफली, चना आदि फसलों की सक्षम किस्मों को बारानी खेती के लिएचुना जा सकता है.