पहले इस बात पर--आलोचना करना भारतीयों के खून में है-यह आदमी के खून में है, विज्ञ जनों का काम है बाल की खाल निकालना..
12.
बाकी मैं छंद शास्त्रियों की इज़्ज़त करता हूँ लेकिन ये लोग कभी-कभी बाल की खाल निकालना शुरू कर देते हैं जैसे शहर और शह्र पर बवाल खड़ा कर देते हैं.
13.
आपलोगों के साथ यही समस्या है बाल की खाल निकालना शुरु कर देते हैं, काटजू साहब ने मना तो नही किया की गालिब के अलावा और किसी को नही मिलना चाहिये ।
14.
उनका विरोध या अन्ना की सफलता पर वही सवाल उठा रहे हैं जो बाल की खाल निकालना जानते हैं या फिर किसी पार्टी की ओर से प्रोजेक्टेड लोग हैं जो किसी न किसी रुप में भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
15.
समझा! हर मकडी को भगवान ने एक कोना दिया है-खुब जाल बुनो, परंतु अपना वजन पहचानते हुए, ऎसा न हो कि वह तुम्हारा वजन न संभाल सके...* “अब तूने ईतनी छोटी उम्र में ही बाल की खाल निकालना शरु कर दिया है ।
16.
गो मुत्र का छिड्काव करने के लिये किसने किन परिस्थितियो में कहा और क्यो कहा शिक्षकों ने एसा क्यो किया यह हमारे लिये मायने नहीं रखता मायने रखता है बाल की खाल निकालना कहां किसी से चूक हुई और “ सींका के टुट्ती बिलईया के झपट्ती “ ।
17.
(अगर बाल की खाल निकालना हो तो कहा जा सकता है कि यहाँ इस महिला ने शिक्षित कम-ज़्यादा होने का मुद्दा नहीं उठाया है, बल्कि संख्या के कम-ज़्यादा होने की बात उठाई है-बहरहाल) वे आगे कहते हैं कि सरकारी ओहदों पर भी मुसलमान कसरत से हैं, हिन्दुओं से कहीं ज़्यादा।
18.
(अगर बाल की खाल निकालना हो तो कहा जा सकता है कि यहाँ इस महिला ने शिक्षित कम-ज़्यादा होने का मुद्दा नहीं उठाया है, बल्कि संख्या के कम-ज़्यादा होने की बात उठाई है-बहरहाल) वे आगे कहते हैं कि सरकारी ओहदों पर भी मुसलमान कसरत से हैं, हिन्दुओं से कहीं ज़्यादा।
19.
बाल की खाल निकालना काँग्रेस नेताओ की आदत है गडकरी जी का बयान जिस पर हंगामा चल रहा है कतई गलत नही है ऐसा करने वाले द्दाउद जैसी आई क्यू के है गडकरी जी चिंता ना करे रास्ट्र निर्माण के मार्ग पर आगे बढो देश आपके साथ है लेकिन ईमानदारी, सुचिता व पूरी तरह रास्ट्र भक्ति के साथ
20.
देखा न आपने, लिखा क्या होता है और मतलब क्या निकलता है, इस “ बिटवीन द लाईन्स ” पढ़ने की कला को कोई “ अर्थ का अनर्थ ” कहता है, कोई इसे “ बाल की खाल निकालना ” कहता है, कोई इसे “ तिल का ताड़ बनाना ” कहता है, तो कोई इसे “ शातिर दिमाग का फ़ितूर ” कहता है, लेकिन हम जानते हैं कि जो लोग बिटवीन द लाइन्स पढ़ लेते हैं, वह बहुत “ चतुर-सुजान ” होते हैं (ऐसा माना जाता है) ।