बाल-अपराधी बंदीगृह में कैद हाईस्कूल एक छात्रा ने इस किताब की लेखिका को लिखे पत्र में लिखा कि ‘ अगर मेरी मां तोत्तो-चान की मां जैसी होती और मेरे शिक्षक श्री कोबायासी जैसे होते तो आज मैं वहां न होती, जहां हूँ ।
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पारिभाषिक दृष्टि से देखें तो ‘‘ एक बाल-अपराधी वह है जो अपना घर छोड़ देता है या आदतन आज्ञाकारी नहीं है या माता-पिता के नियन्त्रण में नहीं रहता है और देश के कानून का उल्लंघन करता है जिनका पालन करना उसके लिए आवश्यक है।
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सन 2006 में बाल-अपराधियों को सुधारने के उद्देश्य से बनाए गए अधिनियम में कुछ संशोधन किए गए जिसके अनुसार किसी भी बाल-अपराधी का नाम, पहचान या उसके निजी जानकारी सार्वजनिक करना एक दंडनीय अपराध माना जाएगा और ऐसा करने वाले को 25,000 रूपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता हैं.