आरक्षित परिसंपत्तियां 312. 09 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर बनी रही जो जून 2008 के अंत में 90.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संपूर्ण बाह्य ऋण (221.30 बिलियन अमेरिकी डॉलर*) से अधिक रही।
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सोवियत संघ से मिलने वाली मदद के कुछ पत्रिकाओं में आंकड़े इसीलिए ज्यादा बड़े दिखाई देते हैं क्योंकि उनमें बाह्य ऋण प्रतिदेय को भी मदद में शामिल दिखाया जाता है।
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सोवियत संघ से मिलने वाली मदद के कुछ पत्रिकाओं में आंकड़े इसीलिए ज्यादा बड़े दिखाई देते हैं क्योंकि उनमें बाह्य ऋण प्रतिदेय को भी मदद में शामिल दिखाया जाता है।
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हालांकि निर्यात में बाह्य ऋण प्रतिदेय (export credit repayable) को वास्तविकता में मदद नहीं माना जा सकता, क्योंकि ऋण, घरेलू पूंजी निर्माण को वित्तीय मदद नहीं करता।
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वित्त मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार दिसंबर, 2011 अंत तक भारत का कुल बाह्य ऋण 9.4 प्रतिशत तक यानी 28.8 अरब डॉलर बढ़कर 334.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो मार्च, 2011 के अंत में 306.1 अरब डॉलर था।