बस इतना भर हुआ था कि पाकिस्तान का नारा, जिसे उन्होंने 1943 में खारिज कर दिया था, मुसलमानों के बीच इतना मकबूल साबित हुआ कि बिना किसी स्पष्टीकरण के जिन्ना ने उसे अपना लिया और यह दावा किया कि लाहौर प्रस्ताव में ‘ राज्य ' की जगह ‘ राज्यों ' मुद्रण की अशुद्धि के कारण आया था।
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जब अन्ना जैसे व्यक्तित्व यदि वास्तव में अपने बयानों से पलटते ही नहीं है बल्कि यू टर्न ले लेते है वह भी बिना किसी स्पष्टीकरण के कि पूर्व में जो उन्होने बयान दिया था वह गलत था और अब मेरा मत और जानकारी प्राप्त होने पर बदला है तब निश्चित रूप से इस देश की जनता के माथे पर चिंता की लहर इस बात के लिए उत्पन्न होती है कि क्या अन्ना भी अन्य राजनेताओं और सामाजिक या धार्मिंक नेताओं के समान अपने बयान सुविधा की राजनीति अनुसार पलटने लगे है?
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जब अन्ना जैसे व्यक्तित्व यदि वास्तव में अपने बयानों से पलटते ही नहीं है बल्कि यू टर्न ले लेते है वह भी बिना किसी स्पष्टीकरण के कि पूर्व में जो उन्होने बयान दिया था वह गलत था और अब मेरा मत और जानकारी प्राप्त होने पर बदला है तब निश्चित रूप से इस देश की जनता के माथे पर चिंता की लहर इस बात के लिए उत्पन्न होती है कि क्या अन्ना भी अन्य राजनेताओं और सामाजिक या धार्मिंक नेताओं के समान अपने बयान सुविधा की राजनीति अनुसार पलटने लगे है?