अत: कानून में यह भी प्रावधान कर देना चाहिए कि लड़कियाँ अपने इस अधिकार को त्यागने को मजबूर न की जायँ और बिना प्रतिफल के नामान्तरण न हो सके।
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वर्तमान मामले में, अभियुक्त ने स्वीकार किया हैं कि उसने एक टेबल व कुर्सी बिना प्रतिफल के दान के रूप में अस्पताल के लिये प्राप्त की थी तथा इसकी उच्चाधिकारियों से कोई अनुमति प्राप्त नही की तथा इसका अस्पताल के रिकार्ड में कोई समावेश नही किया।