Evil triumphed often enough but what was far worse was the coarsening and distortion of what had seemed so right . बुराई की अक़्सर जीत होती , लेकिन इससे ज़्यादा अफसोस की बात तो यह थी कि जो बातें पहले बिल्कुल ठीक जान पड़ती थीं , उन्हें घटिया बता दिया जाता और उनका गलत ढंग से बयान किया जाता था .