शुक्लजी बोले बुक पोस्ट का मतलब यह नहीं कि हम खुली डाक में कुछ भी रख दें. तुमने अख़बार में एक छोटी सी स्लिप ही क्यों न रखी हो वह नितांत ग़लत काम है.
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३ ० से ५ ० रुपये का ३ ०० + या ४ ०० + पृष्ठों का पुस्तकनुमा विशेषांक कूरियर या रजिस्टर्ड बुक पोस्ट से भेजने के लिए ३ ० रुपए लगते हैं क्या किया जाए.
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नीरज जी आपको तहे दिल से शुक्रिया बोलना चाहता हूँ आपने पूर्व में सैयद रियाज रहीम साहब की एक एक किताब का जिक्र किया था-ग़ज़ल संग्रह-“ पूछना है तुम से इतना ”! मैंने उनसे फोन पर बात की थी! आज ही उन्होंने बुक पोस्ट से वो किताब भेजी है!