लोगों की प्यास बुझानेवाला कुआं भी अपनी जलदृष्टि से बाहर के जीवंत जाग्रत समाज को देखता है।
12.
पंच बना बैठा है घर में, फूट डालनेवाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।
13.
इसी के समानान्तर, प्यास बुझानेवाला भी नहीं जानता कि उसके लिए ठण्डे पानी की व्यवस्था किसने की है।
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पंच बना बैठा है घर में, फूट डालनेवाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।
15.
बैठी यही बिसूर रही माँ, नीचों ने घर घाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।
16.
हरी भरी खेती पर ओले गिरे, पड़ गया पाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।
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हरी भरी खेती पर ओले गिरे, पड़ गया पाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।
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बैठी यही बिसूर रही माँ, नीचों ने घर घाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।
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सर्वनाश की लपटों में सुख-शांति झोंकनेवालों! भोले बच्चें, अबलाओ के छुरा भोंकनेवालों! ऐसी बर्बरता का इतिहासों में नहीं हवाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।
20.
सर्वनाश की लपटों में सुख-शांति झोंकनेवालों! भोले बच्चें, अबलाओ के छुरा भोंकनेवालों! ऐसी बर्बरता का इतिहासों में नहीं हवाला, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला ।