गीदड़ की शामत आए तो गाँव की तरफ भागे: जब विपत्ति आने को होती है तब मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है.
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धुंधकारी की बुद्धि विपरीत होने के कारण उसे अकाल मृत्यु के बाद प्रेत योनि की प्राप्ति हुई जिस कारण धुंधकारी की भटकती आत्मा मुक्ति के लिए गोकरननाथ के पास गई।
13.
तत्व और आचरण दोनों में यह सूत्र खयाल में आ जाए कि हमारी बुद्धि विपरीत देख रही है, तो जीवन के रूपांतरण की कुंजी आपके हाथ में उपलब्ध हो जाती है।