मर्दों को कैसे बेवकूफ़ बनाना है और कौन सा काम कब निकालना है वो ये अच्छी तरह जानती थी।
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ज्ञानदत्त जी की बात पढकर सोच रहा हू कि सच मे कितना आसान है न हम लोगो को बेवकूफ़ बनाना..
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और अगले ही कुछ ही पलों में उसने हँसते हुए कहा-' जीजाजी, दीदी मुझे बेवकूफ़ बनाना बंद करो।
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विश्वविद्यालय कैम्पसों आदि में जो परिवर्तनकामी नौजवान और छात्र पकड़ में आते हैं, उन्हें भी तो बेवकूफ़ बनाना है!
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लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि सिर्फ़ विज्ञापन के दम पर अपने पाठकों को बेवकूफ़ बनाना कहां की समझदारी है।
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संतोष कई बार मज़ाक में मुझे छेड़ते हुये कहते हैं कि औरतों को बहलाना (इसे पढें, बेवकूफ़ बनाना) बड़ा आसान है ।
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पर उन्हें न आडंबर आता है, न लोगों (माने, भक्तों) को बेवकूफ़ बनाना. उनका नाम है विष्णु बैरागी.:)
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कालरा जी नेताओं को पता है की देश की जनता को बेवकूफ़ बनाना कितना आसान है, जब मतदान का वक्त आता है तो हम जाती और धर्म देखते हैं तो फिर नेताओं को दोष क्यों दें और कर भी क्या सकते हैं शीला नही कोई और सही जो आज विपक्ष मे हैं साह हैं जैसे ही सरकार मे पहुचें लूट चालू जब कोठारी ही काली है तो कर क्या सकते हैं, नकारात्मक मतदान एक उपाय हो सकता है लेकिन हो कैसे?
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सुसमा जी ने बिल्कुल सही कहा है, इसमे किसी को कोई आपत्ति नही होनी चाहिए, कांगरेश की ये सोची समझी चाल है जिससे इनके कुकर्मो(सांसदों की ख़रीद से ध्यान हटाया जा सके) अब जनता को बेवकूफ़ बनाना इतना आसान नही है, आख़िर जनता की निगाह मे ये कांग्रेसी कब तक धूल झोक कर देस को लूटते रहेंगे, और इसके बावजूद फिर से कांग्रेस की सरकार आई तो फिर किसी के साथ कोई भी हादसा होना का ज़िम्मेदार वो ख़ुद होगा, तो इसलिए सावधान कुत्तो और कांग्रेसियो से
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मुझे लगता है मोदी जी को बेवकूफ़ बनाना चीन के लिए ज़्यादा मुश्किल नही रहेगा क्यों अभी से ही वो दिन रात चीन की जप झापते रहते है क्या मोदी जी को पता नही की चीन के दिमाग़ मे भारत के खिलाफ क्या क्या खिचड़ी पाक रहा है जिस का खुलासा पीछले साल उन ही की सरकारी अख़बार ने किया था की भारत के कई टुकड़े कर देने चाहिए! उसी का हिसा यह माओवादी भी तो है!मोदी जी की खातिरदारी भी उस का कोई चाल का हिसा हो सकता है!