दरी बिछती है घर मे शोक के अवसरों पर पिता की मृत्यु के वक्त जिस पर बैठ कर दहाडें मारती है मां सांत्वना व ढाढस देती हैं मां को दरी पर बैथी हुई स्त्रियां दरी खुद भी हिम्मत बंधाती है मां की हथेलियों को छूते हुए अपने अजीवित स्पर्श से
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तो उन्होने कहा कि एक बात बताओ तुमने आज तक कभी किसी लड़की या औरत को नंगा देखा है तो मैने जान बूझकर कहा नहीं भाभी आज तक नहीं देखा है, वो मेरे बगल में बैथी थी और जब बातें कर रही थी तो मैं बार बार उनके मम्मो की तरफ़ देख रहा था, भाभी ने मुझे देखते हुए देख लिया था, वो बोली अगर देखना है तो मुझसे कहो मैं तुम्हे ऐसे ही दिखा दूंगी।
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करीब अधे घनते के बद जब उशा बथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिअ लप्पेत कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ बलौसे और पेत्तिसोअत पहने तनगे फैला कर पनि कुरसी पर फैली अधे लेति और अधे बैथी हुए है और उसकि बलौसे के बुत्तोन सब के सब खुले हुए है रमेश झुक कर सुमन कि एक चुनची अपने हथोन से पकर चुस रहा है और दुसरे हथ से सुमन कि दुसरी चुनची को दबा रहा है।