टाइटन इंडस्ट्रीज़ के सुवेंदु रॉय मुंबई के एक रिक्शा चालक से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने ताबड़तोड़ उनके अनुभव को सब के साथ बॉंटना चाहा।
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कुछ देकर ख़ुश रहने वाला;मुंबई का वह रिक्षावाला टाइटन इंडस्ट्रीज़ के सुवेंदु रॉय मुंबई के एक रिक्शा चालक से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने ताबड़तोड़ उनके अनुभव को सब के साथ बॉंटना चाहा।
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किन्तु लिंग और उम्र के आधार पर अब तक सफलता नही मिली थी, क्योंकि लिंग और उम्र के आधार पर समाज पहले परिवारों मे बॅंटा था और परिवारों में अविश्वास और टूटन के बिना इन्हें वर्गो मे बॉंटना और वर्ग संघर्ष की दिशा में ले जाना संभव नही था।